माँ की मूरत
ममता की सूरत ,
ममत्व का प्रतिरूप
जानकी माँ ।
प्यार से सहलातीं
स्नेह से दुलरातीं
सरल, सरस मनोभाव की काया
कर्मयोगिनी जानकी माँ ।
हाथ में न कोई मनका
न सर पर कोई ताज
पर फिर भी रानी हैं वो
सच पूछो तो महारानी हैं वो ।
सब नतमस्तक होते हैं
बार-बार शीश झुकाते हैं
कुछ ऎसी प्यारी हैं
हम सब की जानकी माँ ।
(जानकी माँ को समर्पित जिन्होंने अजनबी होकर भी मुश्किल के समय माँ की तरह मुझे स्नेह-दुलार दिया)
Tuesday, February 23, 2010
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