पेश है एक पुरानी कविता, संदर्भ भी वही पुराना बहुचर्चित मामला……
आज सुबह-सवेरे, उनींदी आँखें मलते-मलते
कड़क चाय की गरमागरम चुस्कियों के साथ
मैंने ताजी स्वर्ग पत्रिका हेवेन टाइम्स संभाली
मुखपृष्ठ के सनसनी खेज खबर पर नजर डाली
हे राम!! ये क्या, यहाँ भी गड़बड़ झाला है
क्या जमाना आया है, स्वर्ग में घोटाला है?
नन्ही कोमल आँखें फटी की फटी रह गयीं
जैसे श्रद्दा और विश्वास ने दुलत्ती खायी हो
आनन फानन में मैंने अपना मोबाइल उठाया
स्वर्ग के पीआरओ का टोलफ्री नंबर मिलाया
उधर चोंगे पर मधुर परिचित स्वर उभर आया
"हाय, नारद स्पीकिंग, हाऊ में आय हेल्प यू?"
मैंने फरमाया, प्रभु हुआ क्या कुछ बतायेंगे
आप कृपाकर विस्तारपूर्वक मुझे समझायेंगे
आफिसर नारद झल्लाये, थोड़ा मचमचाये
पर शीघ्र खिसियानी हँसी सहित मुस्कुराकर
बोले वत्स मेरे, अब तुमसे क्या छुपायें
तुम धरतीवालों का ही किया करवाया है
जो धरती का प्रदूषण स्वर्ग तक पहुँचाया है
मैं अचकचाया, थोड़ा गुस्सा भी आया
सादर कहा, महाशय आप क्या कहते हैं
घोटाले तो आपके, नाम हमारा जपते हैं
नारद झट बोले, वत्स यही तो रोना है
अब धरतीवासी ही देवताओं की प्रेरणा हैं
इससे पहले कि तुम अपना सिर धुनो
लो इसी ताजे घोटाले की बात सुनो
हमारे अकाउंटेंट जनरल चित्रगुप्त महाराज
जो अब अल्कापुरी सेंट्रल कारागार में हैं
शायद कहीं हर्षद मेहता से टकरा गये
क्या कहूँ, भरे बुढापे में ही सठिया गये
मेहताजी न जाने कैसे मन भरमा गये
लेखाधिराज हमारे गबन की प्रेरणा पा गये
अब तो वित्तमंत्री कुबेर पर भी शक होता है
भावी अनिष्ट की आशंका से जी कचोटता है
इससे पहले कि मैं फिर अपना मुँह खोलूँ
मन की गाँठे खोलूँ, प्रभु नारद फुसफुसाये
राज की बात कहूँ, किसी से कहियो मत
अब तो स्वर्ग की इज़्ज़त खतरे में दिखती है
उर्वशी, मेनका, रंभा हर सेक्रेटरी डरती है
क्योंके इन्द्र की क्लिंटन से खूब छनती है
मैं घटनाक्रम पर मन ही मन सोच ही रहा था
सोचा - अब यहाँ भी धरतीकरण होनेवाला है
लगता है स्वर्ग में "रेनेसाँ" आनेवाला है
मस्तिष्क में यह सब चल ही रहा था कि
चोंगे पर फिर से वही मधुर स्वर उभरे:-
"थैंक्यू फार कालिंग हेवेन सेक्रेटेरियेट
हैव अ नाइस डे, नारायण, नारायण!"
ha ha hah ah ha bahut bhadiya likh gaye hain aap.
ReplyDeleteBahut sateek vyang kiya hai. Padhhakar aanand aa gayaa.
ReplyDeletebahut sahee guru!
ReplyDeleteekdum chakachak
koi jabab nahi haian
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