Saturday, September 20, 2008
प्रभा जी का निधन
हिन्दी साहित्य की प्रमुख लेखिकाओं में प्रभा खेतान जी को मैंने पहली बार विस्कांसिन विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में तब पढा था जब मैं स्त्री विमर्श विषयक कुछ शोध के सिलसिले में ढूँढ रहा था। पहली बार 'छिनमस्ता'पढने लगा तो उस दिन मैं अपनी एक कक्षा में जाना भी भूल गया था। उसके बाद मैंने उनकी और किताबें तलाशी और फिर 'उपनिवेश में स्त्री' 'पीली आंधी' 'अनन्या' और न जाने उनकी कितनी रचनाएँ पढी। जितनी सूक्ष्मता से वे स्त्रियों के मनोविज्ञान और उनकी दशा, दिशा को उकेरती हैं उतनी ही दक्षता के साथ दंभी पुरुष समाज का दोमुंहापन को उघाड़ कर रखती है, उसके अंदर मौज़ूद असुरक्षा ग्रंथियों को इस कदर निचोड़ना हिन्दी साहित्य में सामान्य घटनाओं के माध्यम से इस कदर रखती हैं कि बहुत से पुरुष लेखक जो स्त्री विमर्श के क्षेत्र में बड़े लिक्खाड़ माने जाते हैं वे भी उनके सामने बौने से लगते हैं। महान लेखिका और कर्मयोगी प्रभा जी को विनम्र श्रद्धांजलि।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
प्रभा खेतान जी को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि!
ReplyDeleteप्रभाजी का असामयिक निधन हिन्दी जगत के लिए बड़ी क्षति है। भगवान से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करती हूं। हमारी विनम्र श्रद्धांजलि!
ReplyDeleteईश्वर उनकी आत्मा को शाँति दे !
ReplyDeleteबहुत दुख हुआ :(
प्रभा खेतान जी को नमन एवं श्रृद्धांजलि!!
ReplyDelete