Wednesday, September 24, 2008
मी लोर्ड वक्त कब आयेगा !!
हिन्दुस्तान की अदालतों में अंग्रेजों के आने से पहले काम-काज मुख्य रूप से हिन्दी (निचली अदालतों में) और फारसी में (विशेष अदालतों) में होता रहा था। कुछ दिनों पहले संसद की एक समिति ने कुछ सिफारिशें करते हुए सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में फैसलों की भाषा को हिन्दी में करने की गुहार की थी जो अब तक धारा ३४८ के तहत अंग्रेज़ी में फैसला देने का प्रावधान है। अब विधि मंत्रालय ने इस पर एक आयोग गठित की जिसके अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री लक्ष्मणन को बनाया गया और इस बारे में एक रपट पेश करने को कहा गया। इस पर श्री लक्ष्मणन ने सेवा-निवृत न्यायधीशों, विधि विशेषज्ञों, एवं वरिस्थ अधिवक्ताओं से राय मांगी गयी जिसमे बहुत से विशेषज्ञों ने ये कहते हुए अपनी राय जाहिर की है की अभी हिन्दी को उच्च एवं सर्वोच्च न्यायालयों में फैसलों की भाषा बनाने का सही वक्त नहीं आया है। जाने कब आयेगा वो वक्त....
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