Sunday, October 19, 2008

राज ठाकरे मनोरोगी नही है



लालू प्रसाद यादव का कहना है कि राज ठाकरे मनोरोगी हैं। ये बयान उस क्रम में आया है जब रेलवे के द्वारा मुंबई के विभिन्न परीक्षा केंद्रो पर आयोजित एक नियुक्ति परीक्षा मे महाराष्ट्र से बाहर से आये परीक्षार्थियों को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के तथाकथित कार्यकर्ताओं ने खदेड़-खदेड़ कर पीटा। बिहार और उत्तर प्रदेश से संबद्ध विभिन्न दलों के नेताओं ने इस घटना पर अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दी है। ये कोई पहली बार नहीं हो रहा है कि "मनसे" के इन आतंकवादी कार्यकर्ताओं ने बिहार-उत्तर प्रदेश के लोगों को आतंकित करने का प्रयास किया है। तुर्रा यह कि हमारी मीडिया ऐसी हरकतें करने वालों को "एक्टीविस्ट" कहकर संबोधित करती है। ठाकरे दरअसल न तो मनोरोगी हैं जैसा कि लालूजी मानते हैं और न ही "मराठी मानुष" के भलाई की उनमें कोई दिली इच्छा है, वे बस उन्हीं हथकंडों पर काम कर रहे हैं जिनपर बिहारी नेता अपनी राजनीति चमकाने की जुगत में लगे रहते हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि राज ठाकरे क्षेत्रवाद को हवा देना चाहते हैं तो बिहारी नेता जातिवाद की रोटियाँ सेकते हैं।

10 comments:

  1. आपके विचारों से मै सहमत हु।

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  2. इस घटना की जितनी भी भर्त्सना की जाए कम है. भाई साहब ये तो साँप चूछूंदर का खेल है. फिलहाल राज पर कोई आँच नहीं आवेगी.

    http://mallar.wordpress.com

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  3. यह तो हद है अगर ऐसी ही घटिया हरकतें गैरमराठी लोग राजठाकरे और गुंडों के लिए शुरू कार्ड तो क्या होगा ? क्या मुम्बई राज ठाकरे और उनके बाप की है ? ये दोनों देश द्रोही हैं -इन्हे तत्काल जेल में डाला जाय नहीं तो महारष्ट्र के लिए अपशकुन शुरू हो जायेगा -राज ठाकरे आज मुम्बई के लिए एक कलंक बन गया है .

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  4. हालाँकि सारे नेता अवसर वादी है लेकिन राज ठाकरे तो इंडियन मुजाहिदीन से भी गया गुजरा है यदि उसकी प्रतिक्रिया में अन्यो राज्यों के लोग ने भी मराठियों के यही सलूक करना शुरू दिया तब राज ठाकरे क्या करेगा ? यह देश का दुर्भाग्य ही है कि ऐसे लोग खुलेआम कुछ भी कर सकते है और सरकार मुंह बाये देखती रहती है

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  6. किसी को मनोरोगी कहना एक खेल है इससे व्यक्ति को आप हिरासत में नहीं ले सकते |

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  7. bahut sahii,
    samkaaliin janmat kii web-site nahin hai, kisii tarah ke sampark ke liye (rai.ramji@gmail.com)
    ya (kkjanmat@gmail.com) par e-mail kar liijiyega.

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  8. बिहार!. . आपने सही कहा. . .पहली बार में किसी हिंदी ब्लॉगर को बिहारी नेताओंको टोकते देख रहा हूं. . .राजसाहब को तो सब लोग गाली देते है. . .लेकीन कभी अपने नेताओंको सवाल नहीं पुछते. . आखिर बिहारीओंपे ये नौबत क्यों आयी? क्योंकी उनके नेता नालायक है जो अपने राज्य के लोगोंको नौकरी और् दो वक्त का खाना भी नहीं दे सकते. . .लानत है

    और वैसे फक्र है की राजसाहब कुछ कर रहे है. . .मिडीया चाहे उसे क्षेत्रवाद बोले. . लेकीन ये तमिलनाडू में भी होता है. .दक्षिण के हर राज्य मे होता है. . पंजाब में भी लोग बिहारीयोंसे परेशान है. . मराठी लोग तो अभी अभी जागने लगे है. . इतना बडा और खुशहाल राज्य लेकीन मराठी फिल्मे चलती नही थी क्योंकी लोग सोये हुए थे. . अब खुशी है की मराठी लोगोंकी अस्मिता जाग रही है. .

    भविष्य मे कभी युपी-बिहार सुधर गये तो राजसाहब को धन्यवाद जरूर देना. . राजसाहब कि वजह से वहां पे परिस्थिती बदलेगी. . विकास होगा. . क्योंकी पता है अब् मुंबई नही जा पायेंगे. .अपना घर सुधारने मे लोग जुट जायेंगे. .

    अमित

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  9. लालू प्रसाद यादव का अपने बारे में क्या कहना है? जैसा राज ठाकरे करते हैं बैसा ही लालू भी करते हैं. दोनों नफरत फैला रहे हैं. राज महा और गैर-महा लोगों में, लालू मुसलमानों और हिन्दुओं में, सवर्ण और दलित में. देखा जाय तो लालू इस रेस में आगे हैं.

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  10. राज ठाकरे असली बाल ठाकरे हैं। शेर की दहाड़ है। राज कोई औना-पौना पप्पू नहीं है और ना ही रेपिस्ट, लुटेरे और चाराखाऊ सांसद है जो बिहार-यूपी की जनता का वोट बटोरकर राजनीति करता फिरता है। वो बाहुबली एक बार नहीं बार बार चुना जाता है। राज जो कह रहे हैं वो समझने का माद्दा तो चाहिए ही बल्कि शर्म भी आनी चाहिए उन विस्थापितों को जो खाते तो महाराष्ट्र का हैं और राजनीतिक दखलअंदाजी करने के लिए अपने लोगों की तादाद बढ़ाते जाते हैं। अधिकांश हिन्दीभाषी राजनीतिक तौर पर जागरूक ही नहीं बल्कि चालाकी से आधिपत्य जमा लेते है जिसका भुगतान कई स्तरों पर मूल निवासियों को करना पड़ता है। जहां रहते हैं वहां कि चीनी की तरह घुल मिल जाएं तो अच्छा हैं। नींबू निचोड़ोगे तो यही हश्र होगा भैय्य्य्य्या।

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