Saturday, December 25, 2004

इस्लामी दुनिया की हलचल

इराक़ वग़ैरह की बात छोड़ दें तो इस्लाम की दुनिया की से दो खास ख़बरों ने विशेष ध्यान खींचा मेरा और दोनों दुनिया की दो सबसे बड़े लोकतंत्रों से. पहली ख़बर ऐसी दुनिया से जहाँ यौन बराबरी का ढोल पीटा जाता है लेकिन मुझे ज़मीनी हक़ीक़त कुछ और ही नज़र आती है. खैर इस बारे में तफ़सील से किसी और चिट्ठे में. हाँ तो ख़बर यहाँ के वर्जिनिया राज्य के एक छोटे से शहर में एक मस्ज़िद से संबंधित है. यहाँ भारतीय मूल की एक मुस्लिम महिला ने इस बात की माँग की कि महिलाओं को भी एक साथ नमाज़ अता करने की सुविधा दी जाये. पहले की व्यवस्था यह थी कि महिलायें मस्ज़िद के मुख्य द्वार से न घुसकर उसके पिछवाड़े के दरवाज़े से घुसती थीं और उनके लिये एक अलग कमरे में नमाज़ अदा करने की सुविधा थी. इन मोहतरमा की माँग से उपजे विवाद की वज़ह से महिलाओं को मुख्य द्वार से मस्ज़िद में आने की अनुमति तो दे ही दी साथ ही दूसरी माँग पर भी विचार करने का आश्वासन दिया गया. लेकिन मामले ने फिर यू-टर्न लिया और अब उस महिला को ही मस्ज़िद में आने से प्रतिबंधित कर दिया गया और इस प्रतिबंध को लागू करने के लिये कई महिलाओं को ही आगे कर दिया गया है. देखिये आगे क्या होता है, इस बराबरी की लड़ाई में.
दूसरी इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण और शायद भारतीय मुसलमानों के लिये युगांतरकारी घटना रही भारत के मुस्लिम पर्सनल ला की लखनऊ मे इस बार हुई बैठक में "तीन तलाक़" के रस्म को हतोत्साहित करने का निर्णय. बोर्ड के प्रवक्ता अहमद हनीफ़ कुरैशी साहब ने हलाकि इसे सिरे से खारिज नही किया है लेकिन इसकी निन्दा अपने आप में बहुत बड़ा कदम है जो सही दिशा में एक कदम है. अगर इस हफ़्ते के कार्यकारिणी की बैठक में यह प्रस्ताव पारित हो जाता है तो अब कोई मुसलमान एक बार में तीन बार तलाक़, तलाक़, तलाक़ कह कर तलाक़ नहीं दे सकेगा. याद रखिये कि बहुत बड़ी सँख्या में ये घटनायें गुस्से में, नशे की हालत में और ऐसी असामान्य परिस्थितियों में किया जाता है जिसका परिणाम औरतों और खासकर ग़रीब औरतों को भुगतना पड़ता है. नयी परिस्थितियों में तलाक़ के हालात पैदा होने पर उसे सामुदायिक स्तर पर सुलझाने की कोशिश की जायेगी, वहाँ बात न बनने पर शरिया अदालत में पेश होना लाज़िमी होगा और अंत में कोई चारा न बचने पर कम से कम एक एक महीने के अंतराल पर ही तलाक़ कहने पर ही "तीन तलाक़" की प्रक्रिया पूरी हुई समझी जायेगी.

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