तेजी से बदलती और सिमटती हुई दुनिया में भारतीय भाषाओं के साथ तकनीक सबसे बड़ी समस्या रही है। इंटरनेट पर इस्तेमाल होनेवाली भाषाओं में भारतीय भाषाओं की सहभागिता लगभग नगण्य रहा है। सरकारी प्रयास ने भारतीय भाषाओं का भला करने की बजाय अक्सर उसका नुकसान ही किया है और ज्यदातर राजनैतिक दल अपनी रोटी सेंकने में ही ज्यादा मशगूल रहे हैं। लेकिन आज स्थिति तेजी से बदल रही है। भारतीय भाषाओं की इंटरनेट पर जो भी उपस्थिति दर्ज की है वह मुख्यरूप से अपनी भाषा में खुद को अभिव्यक्त करनेवालों और भारतीय भाषाओं का व्यापारिक लाभ की वजह से ही हुआ है।
अररर्र लगता है मैं कोई निबंध लिखने बैठ गया। चलिये भूमिका तो बहुत बड़ी हो गयी है। जो लोग नहीं जानते उनको बताना चाहता था कि हिन्दी सहित विश्व की अन्य कई भाषाओं में वेब पर एक बृहत विश्वकोष 'विकिपीडिया" के नाम से बनाया जा रहा है। यह एक खुला विश्वकोष है जिसमें कोई भी अपना योगदान दे सकता है। भारतीय भाषाओं की कहें तो जहाँ तक मेरी जानकारी है अब तक हिन्दी, बांग्ला, गुजराती, मराठी, तमिल सहित कुछ अन्य भाषाओं में इसकी शुरुआत हो चुकी है। हाँ तो मेरा सभी ब्लागी (ब्लागी शब्द लिखते ही मुझे न जाने क्यूँ भारत के दागी मंत्रियों के नाम याद आने लगते हैं) मेरा मतलब चिट्ठा लिखने वाले भाइयों से निवेदन है कि हम अपनी अपनी ठलुअई से जब भी थोड़ा वक़्त मिले तो अपनी अपनी भाषा में इस पर अपने स्तर पर छोटा ही सही अपना योगदान अवश्य करें।
हिन्दी क विश्वकोष यहाँ उपलब्ध है।
Thursday, December 02, 2004
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जब भी थोड़ा वक़्त मिले तो अपनी अपनी भाषा ... विश्वकोष यहाँ उपलब्ध है। आपका हुक्म सर आँखों पर।
ReplyDeleteआपका स्थल ज़ोरदार है। गज़ब का जमाव और रङ्ग चयन है।
मियाँ आलोक हुकम-वुकम तो हमने नयी दिया कोई हमने, अर्ज किया है बस…हाँ ये पता नहीं चला की मेरे वेबसाईट की खिंचाई कर रिये हो या तारीफ…
ReplyDeleteकाली बाबू
ReplyDeleteतुम्हारे ब्लागवा की Encoding फिर unicode से English मे फिर वापस आ गयी है,तनिक ध्यान दो, नही तो बेटा टीपते रह जाआगे, लोग एक नजर देख कर निकल लेंगे... पतली गली से..
खिंचाई को भी तारीफ समझ कर ग्रहण करना संतों का काम है!
ReplyDeleteAapne ek accha site banaya hai aapka blogger ka jawab hi nahi bhaiya
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