मेरी कवितायें, विचार, और भड़ास....फटाफट, टटका और तत्काल।
आँखो ने
चखा
स्वाद
जुबाँ ने
तोड़ी झपकी
बोल पड़े
कान मेरे
गीत मधुर
सूँघकर
थिरक उठे
बाल मेरे।
कल रात
पी मैंने
दुनिया-
पगलाया,
समझ गया
कुछ नहीं
ये दुनिया
यूँ ही
रहती है
पगलाती सी।
No comments:
Post a Comment