Sunday, April 24, 2005

मेरे घर की नन्ही परी


मेरी एक नन्ही पड़ोसी मेहमान, जेनी (जेनिफर)। चुलबुली शैतान की नानी है वो, पहले तो उससे बातें करने को ढेर सारी कैण्डीज तैयार रखनी पड़ती है, फिर गर बात करने पर उतर आये तो उसकी बातें ख़त्म हीं नहीं होती। उसे पटाने का नुस्खा हाल में हाथ लगा मेरे, गुड़बादाम (चिक्की) पर वो जान छिड़कती है। अभी उसकी दोस्ती एक कुत्ते से हुई है, मेरा दिया गुड़बादाम कुत्ते के मुँह मे जबर्दस्ती ठूँस आती है। उसे तो गुड़बादाम पसंद नहीं लेकिन जेनी के डर से खा लेता है। उसे जाने कैसे पता है कि मैं अमरीकी नहीं हूँ, कहीं से सीख आई है नमस्ते करना। बात करते करते उसे अचानक याद आ जाता है "ओ, आइ वान्टेड टू से यू नमस्ते" जिसका मतलब होता है - "मुझे एक और चिक्की चाहिए"। एक बार में नमस्ते का जवाब न मिलने पर अलग अलग तरीक़े से नमस्ते करती है। वैसे उसके इस छुटकी से शरीर में बुद्धि इतनी भरी है कि बस पूछिए मत। थोड़े ही दिनों में जेनी अपने माता पिता के साथ सियाटल जानेवाली है, और उसका कहना है वो सियाटल से चिक्की खाने रोज मैडिसन आयेगी। उसे मालूम है मैं रोज चिक्की के साथ उसका इंतज़ार जो किया करता हूँ।

1 comment:

  1. चिक्की परी पर आपकी लेखनी अच्छी लगी ।

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